मैंने क्यों लिया जन्म जब ना खेल सकूँ अपनी माँ की आँचल में, मैंने क्यों लिया जन्म जब ना खेल सकूँ अपनी माँ की आँचल में,
बाद में समझ, आने का दस्तूर क्यों है...! बाद में समझ, आने का दस्तूर क्यों है...!
मेरा खुशियों का महल, इस मिट्टी के दीये जैसा है, तुम क्यों इस दीये में, पानी मिलाते हो। मेरा खुशियों का महल, इस मिट्टी के दीये जैसा है, तुम क्यों इस दीये में, पानी मिल...
मेरे बढ़ते कदम...। मेरे बढ़ते कदम...।
मैं जिस नज़र का नूर थीं, आज उस नज़र से दूर हूँ ! मैं जिस नज़र का नूर थीं, आज उस नज़र से दूर हूँ !
अब तुम ही, कह दो छः महीने, की है उसका, क्या छिपा लूँ...! अब तुम ही, कह दो छः महीने, की है उसका, क्या छिपा लूँ...!